प्रदेश का सचिवालय बीमारों के हवाले है। आश्चर्य सी लगने वाली इस बात की पुष्टि के लिये यह तथ्य पर्याप्त मान सकते है कि बीते 3 सालों में यहां कार्यरत जिम्मेदारों ने इलाज के नाम पर सरकार से 30 करोड रुपये निकाल लिये हैं।
जिस प्रदेश में 3 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज है और जन्म के साथ बालक 48 हजार रुपये का कर्जदार हो जाता है। उस प्रदेश की सरकार जनता को अपने हालात पर छोड़कर विधायकों का वेतन बढ़ाने जा रही है। हम बात कर रहे है मप्र की। जहाँ विधायकों के साथ ही विधानसभा के पूर्व अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री के समान सुविधाएं देकर वह पूर्व विधायकों को भी साधने की तैयारी में है।
मध्यप्रदेश विधानसभा में मंगलवार को राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा करते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने विधायकों के स्वेच्छानुदान राशि 50 लाख से बढ़ाकर 75 लाख करने की घोषणा की है। इससे विधायकगण अपने क्षेेत्र में अधिक से अधिक विकास कार्य कर सकेंगे।
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